सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है

ज्ञान विज्ञान का भण्डार भरा है,
संस्कृति हमारी संपूर्ण है ।
ईर्ष्यालु हैं तो इसके भक्त भी हैं,
सद्भाव से यह परिपूर्ण है ।।

जीवन है संस्कृति बिना मानो,
दीप बिन, अन्धकार भरा पथ है ।
करो जीवन निर्देशित इससे कि,
गिर उठ न पाने का दर्द अकथ है ।।

लौटकर आ जाओ संतानों,
माता स्वरक्षा को तुम्हे बुलाती है ।
दुनिया उसे भुला देती है,
जो सभ्यता स्वयं को भुलाती है ।। 

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