गुरुवार, 23 जनवरी 2014

जो इतिहास हमें पढ़ाया जाता है, क्या वह सही है ?

मेरे कई मित्र लोग बोलेंगे कि 'इतिहास तो बीत गया, वर्तमान पर ध्यान दो', तब मैं कहता हूँ कि तुम जिन महापुरुषों की कहानियाँ अपने बच्चों को सुनाते हो या जो उदाहरण देते हो, वह सब इतिहास ही तो है, तो फिर क्यूँ तुम उन्हें गलत बातें बताते हो । सही बातें बताने के लिए सही इतिहास का अध्ययन भी आवश्यक है । 
 
इतिहास इसीलिए भी आवश्यक है क्योंकि उससे आने वाली पीढ़ीयों को यह पता चलता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए ।  और जो लोग अपने इतिहास को भुलाते हैं, वे अपनी सभ्यता की अच्छाईयाँ भुला बैठते हैं और पहले की गयी गलतियों को दोहराते हैं । किसी ने कहा है "Those who forget their history are doomed to repeat it."
 
अब मैं साधारण प्रश्न उत्तर वाले तरीके से यह सिद्ध करूंगा कि हमें क्यूँ विद्यालय की पुस्तकों में लिखे इतिहास को आँख मूंदकर स्वीकार नहीं कर लेना चाहिए । हाँ, ये पुस्तकें प्रारम्भ करने के लिए अच्छी हो सकती हैं । 
 
प्रश्न: आप कैसे कह सकते हैं कि जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह गलत या अधूरा है ?
उत्तर: मैं ये नहीं कहता कि सब गलत है किन्तु काफी कुछ गलत है और अधूरापन के लिए मैं लोगों के लिए कुछ प्रश्न नीचे देता हूँ:
१. दक्षिण भारत के चोल, चेर, पांड्य, चालुक्य और पल्लव वंश के बारे में आप क्या जानते हैं?
२. क्या आप पुलकेशिन द्वितीय के बारे में जानते हैं?
३. क्या आप शालिवाहन वंश के बारे में जानते हैं?
४. क्या आप गुजरात के प्रतिहार वंश के बारे में जानते हैं जिन्होंने ७ वीं सदी से ९ वीं सदी तक भारत पर अरबों के आक्रमण को रोककर रखा ?
५. क्या आप समुद्रगुप्त के बारे में जानते हैं जिसका साम्राज्य सम्पूर्ण उत्तर भारत और आज के पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान तक था । गुप्त काल भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है लेकिन उसका कितना वर्णन किताबों में है ? अकबर और अशोक की तरह समुद्रगुप्त और विक्रमादित्य को महान क्यूँ नहीं कहते?
६. क्या आपने बाप्पा रावल के बारे में पढ़ा है, स्कूल की किताबों में?
७. आप महान ज्ञानी राजा, कला के संरक्षक राजा भोज और कृष्णदेवराय के बारे में कितना जानते हैं?
८. आप तेनालीराम को बीरबल की तरह जोकर समझते हैं, किन्तु वह कृष्णदेवराय का मंत्री, विद्वान, लेखक और महान राजनीतिज्ञ था । क्या आप जानते हैं?
९. क्या आपने स्कंदगुप्त के बारे में पढ़ा है, जिसने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा सीमा पर शत्रुओं से लड़ने में बिता दिया?
 
अगर आप ऊपर की बातों को नहीं जानते तो कृपाकर के जानें तब आपको पता चलेगा कि कितना कुछ पुस्तकों से बाहर है । 
 
प्रश्न: क्या अकबर को महान कहना गलत है? क्या अशोक को महान कहना गलत है?
उत्तर: हाँ, गलत है । इन्हें ताकतवर राजा कह सकते हैं लेकिन महान होने के लिए व्यक्ति को ज्ञानी, चरित्रवान, कलाप्रेमी और वीर सभी कुछ होना चाहिए । नीचे की पंक्तियों में कुछ बाते बताता  हूँ:
अकबर की महानता जो स्कूल किताबों में पढने को नहीं मिलती :
१. अकबर ने राजपूतों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध बनाये और शांति स्थापित किया । अच्छा, शादी सम्बन्ध दोनों तरफ से होना चाहिए सिर्फ लड़कियां लेना नहीं होता और ऐसा क्या कि सारी औरतों से खुद ही शादी कर लिया, क्या इसके भाई, भतीजे सब मर गए थे क्या? ऐसे व्यक्ति को महान नहीं अमर्यादित और दुश्चारित्र कहते हैं । ये रिश्ते तो राजपूतों को उसके कत्लेआम से डरकर करने पड़े थे । 
२. अगर अकबर महान था तो क्या महाराणा प्रताप और रानी दुर्गावती महान नहीं थे और इसीलिए अकबर ने उनसे लड़ाई की?
३. अकबर कला प्रेमी था, उसके दरबार में नौ रत्न थे। कौन से रत्न? विद्वान बीरबल जो एक युद्ध में मारा गया या कवि रहीम जिसकी पत्नी को अकबर ने बलात अपनी बीवी बना लिया । ये नौ रत्न का दिखावा उसने महान बनने के चक्कर में भारतीय राजाओं विक्रमादित्य, भोज और कृष्णदेवराय से चुराया था । 
४. उसने तुलसीदास को कैद करके रखा क्यूंकि उन्होंने उसकी प्रशंसा में ग्रन्थ लिखने से मना कर दिया था । 
५. चित्तौड़ ने मुगलों के सामने समर्पण से मना कर दिया था, इसीलिए जब युद्ध के बाद विजयी अकबर नगर में घुसा तो उसने २०००० से भी ज्यादा लोगों की हत्या करवा दिया । 
 
अशोक की महानता जो स्कूल की किताबों में पढने को नहीं मिलती:
१. राज्य के लिए अपने भाइयों की हत्या किया । 
२. बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए लोगों पर जोर डाला और राज्य कोष को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए पानी की तरह बहाया । मौर्य साम्राज्य के पतन का एक कारण । 
३. अहिंसा के अंधानुकरण को बढ़ावा देकर क्षत्रियों के मनोबल को कमजोर किया । मौर्य साम्राज्य के पतन का एक कारण । 
४. जब से बौद्ध धर्म ने राजवंश में प्रवेश किया, साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया । जब विदेशी आक्रांता अयोध्या तक घुस आये और फिर भी राजा वृहद्रथ ने अहिंसावादी होने के कारण युद्ध करने से मना कर दिया, तब पुष्यमित्र शुंग ने सम्पूर्ण सेना के सामने सम्राट की हत्या कर दिया और शुंग वंश का प्रारम्भ हुआ । 
 
ऊपर के उदाहरण मात्र ये बताने के लिए हैं कि बहुत कुछ है जो बहुत सारे लोगों को नहीं पता है और फिर भी वे कुतर्क करने से पीछे नहीं हटते । 
 
प्रश्न: हर कोई राजा बनने के लिए भाई भतीजों को मारता था तो अशोक ने क्या गलत किया? और इसका क्या सबूत है कि अशोक ने जोर डाला बौद्ध धर्म के लिए लोगों पर?
उत्तर: भाई भतीजों को मारना राजा बनने के लिए मुगलों, मंगोलों और तुर्कों में होता था, भारतीय राजवंशों में नहीं । इसके लिए कुछ उदाहरण देता हूँ:
१. राजा हर्षवर्धन ने जीवन भर अपनी बहन को साम्राज्ञी बनाकर उसके आधीन रहकर राज्य किया । 
२. समुद्रगुप्त चाहते थे कि उनका पुत्र चन्द्रगुप्त शासन करे किन्तु चन्द्रगुप्त ने भातृ प्रेम के कारण अपने भाई रामगुप्त को राजा बनने दिया । बाद में रामगुप्त के चारित्रिक और अन्य दुर्गुणों के कारण उसकी हत्या हो गयी किन्तु उसके पीछे चन्द्रगुप्त की राज्य इच्छा नहीं थॆ। 
३. राजा भतृहरि ने राज्य छोड़ा और राज्य उनके छोटे भाई विक्रमादित्य को मिला । 
४. महाराणा प्रताप का भाई शक्तिसिंह राज्य न मिलने से नाराज होकर मुगलों से जा मिला, किन्तु उसी शक्तिसिंह ने हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जान बचाया । 
 
और अशोक ने जैन धर्मियों पर जो अत्याचार किया उसका वर्णन आपको जैन ग्रंथों में मिल जाएगा । 
 
प्रश्न: भारत हमेशा से ही टुकड़ों में बँटा  हुआ था और यह कभी एक न हो पाता , अकबर अशोक और अन्य शासकों ने इसी एकीकरण का प्रयास किया था । उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय हमेशा से ही बँटे हुए थे, तो फिर कैसे हम इस इतिहास पर गर्व करें ?
उत्तर: आज हम अनेकता में एकता की बात करते हैं, क्या हम उस समय के बारे में ऐसा नहीं सोच सकते? उस समय तो धर्म भी आज जैसे नहीं थे । १० वीं सदी तक तो लोग धर्म के नाम पर लड़ने के बारे में सोचते भी नहीं थे । और कई भिन्न भिन्न राज्यों में बँटे होने पर भी भारत एक था, इसके लिए कुछ उदाहरण देता हूँ:
१.  कलिंग और आंध्र की सेनाओं ने उत्तर में जाकर यूनानी आक्रमणकारियों को हराया जब मौर्य राजवंश और मगध बौद्ध धर्म और अहिंसा के अंधानुकरण में व्यस्त था । दुश्मनों को खदेड़कर ये सेनाएं लौट गयीं, इन्होने मगध की कमजोरी का लाभ उठाकर उस पर अधिकार नहीं किया । 
२. मालवा के राजा यशोधर्मन ने कई राजाओं को साथ लेकर विदेशियों को हराया । ऐसा ही काम बाद में राजा भोज ने किया था महमूद गजनवी के विरुद्ध । 
३. गुजरात के प्रतिहार वंशियों ने सिसोदिया राजपूतों को अरब आक्रमणकारियों के विरुद्ध सहायता किया । 
४. समुद्रगुप्त ने युद्ध के बिना ही दक्षिण के राजवंशों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये और ये सम्बन्ध अकबर की भांति नहीं थे जिसमें सिर्फ लेना और मात्र अपने लिए लेना शामिल था । 
 
भले ही भारत टुकड़ों में था किन्तु कला और संस्कृति का विकास सभी जगह था और आक्रमणकारियों के खिलाफ सभी एक हो जाते थे । 
 

चलो अभी इतना ही । और हाँ मैं और भी लिखता रहूँगा और अगर आप लोगों को कोई असहमति हो या कोई प्रश्न करना हो तो कमेंट में पूछ सकते हैं । 

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